गाइडेंस एवं काउंसलिंग – परिचय (Guidance and Counselling Introduction )
विषय की भूमिका:
गाइडेंस एवं काउंसलिंग (मार्गदर्शन और परामर्श) बी.एड. पाठ्यक्रम का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, जिसका उद्देश्य भावी शिक्षकों को छात्रों के समग्र विकास में सहयोग करना सिखाना है। यह विषय विद्यार्थियों के शैक्षणिक, व्यक्तिगत, सामाजिक और भावनात्मक विकास को सुगम बनाने में सहायक होता है।
मार्गदर्शन (Guidance) क्या है?
मार्गदर्शन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति को उसकी क्षमताओं, रुचियों, समस्याओं और लक्ष्यों को समझने में सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वह अपने जीवन में उचित निर्णय ले सके। शिक्षा क्षेत्र में मार्गदर्शन विद्यार्थियों को सही दिशा देने का कार्य करता है।
परामर्श (Counselling) क्या है?
परामर्श एक पेशेवर एवं गोपनीय प्रक्रिया है जिसमें प्रशिक्षित काउंसलर व्यक्ति की समस्याओं को समझने, भावनात्मक तनाव को कम करने और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है। यह विद्यार्थियों की मानसिक स्वास्थ्य और निर्णय क्षमता को मजबूत करता है।
बी.एड. में गाइडेंस एवं काउंसलिंग का उद्देश्य:
- छात्रों को भावनात्मक, सामाजिक व शैक्षणिक समस्याओं से उबरने में सहायता करना।
- शिक्षकों को छात्रों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझने की योग्यता प्रदान करना।
- विद्यार्थियों को आत्म-विश्लेषण और आत्म-निर्णय की क्षमता विकसित करने में मदद करना।
- करियर मार्गदर्शन और व्यावसायिक परामर्श के माध्यम से छात्रों का मार्गदर्शन करना।
- समावेशी शिक्षा के सिद्धांतों को समझना और विशेष आवश्यकता वाले छात्रों की मदद करना।
शिक्षक की भूमिका:
- एक काउंसलर के रूप में शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि छात्र के जीवन की चुनौतियों में उनका मार्गदर्शन करना भी होता है।
- शिक्षक को छात्रों की भावनात्मक और सामाजिक समस्याओं को समझते हुए उनका समाधान करना चाहिए।
- शिक्षक को छात्रों के साथ विश्वासपूर्ण संबंध स्थापित कर उन्हें आत्मविश्वासी और सकारात्मक बनाने में मदद करनी चाहिए।
इस विषय से मिलने वाले लाभ:
- बेहतर संवाद कौशल का विकास
- कक्षा प्रबंधन में कुशलता
- मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता
- बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की समझ
- एक सशक्त और संवेदनशील शिक्षक के रूप में विकास
निष्कर्ष:
बी.एड. में गाइडेंस एवं काउंसलिंग का अध्ययन शिक्षकों को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शैक्षणिक सहायता प्रदान करने हेतु सक्षम बनाता है। यह विषय शिक्षक को केवल एक शैक्षणिक गाइड नहीं बल्कि एक सशक्त मेंटर बनाने में सहायता करता है।