पाठ्यचर्या विकास की विभिन्न प्रविधियाँ (Understanding different approaches to curriculums development )

 पाठ्यचर्या विकास की विभिन्न प्रविधियाँ (Understanding different approaches to curriculums development ):-

 

पाठ्यचर्या (Curriculum) केवल विषय-वस्तु का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक सुविचारित योजना है जो शिक्षार्थी की सर्वांगीण विकास की दिशा तय करती है। इसके विकास के लिए विभिन्न दृष्टिकोण (Approaches) अपनाए जाते हैं, जिनका उद्देश्य विद्यार्थियों की आवश्यकताओं, समाज के अपेक्षाओं और ज्ञान की प्रकृति के बीच संतुलन बनाना है।

 पाठ्यचर्या विकास क्या है

पाठ्यचर्या विकास एक सतत प्रक्रिया है जिसमें शिक्षण-सामग्री, शिक्षण विधियों, मूल्यांकन प्रक्रियाओं और शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण व सुधार किया जाता है, जिससे कि छात्रों के व्यक्तित्व, कौशल और सोच का विकास हो सके।

 पाठ्यचर्या विकास की प्रमुख प्रविधियाँ

1. विषय-केन्द्रित प्रविधि (Subject-Centered Approach)

इसमें पाठ्यचर्या को विशुद्ध रूप से विषयों के आधार पर विकसित किया जाता है। हर कक्षा के लिए निर्धारित विषय और उस विषय की संरचना के अनुसार पाठ्यक्रम बनाया जाता है।

विशेषताएँ:

  • विषय का गहन अध्ययन होता है
  • शिक्षक की भूमिका प्रमुख होती है
  • मूल्यांकन विषय आधारित होता है
    सीमाएँ:
  • छात्रों की रुचि और अनुभव की उपेक्षा
  • व्यवहारिकता की कमी

2. शिक्षार्थी-केन्द्रित प्रविधि (Learner-Centered Approach)

यह प्रविधि छात्रों की आवश्यकताओं, रुचियों, अनुभवों और क्षमताओं पर आधारित होती है। पाठ्यचर्या को इस प्रकार बनाया जाता है कि विद्यार्थी स्वयं सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएं।

विशेषताएँ:

  • आत्मनिर्भरता और रचनात्मकता को बढ़ावा
  • अनुभव आधारित शिक्षण
  • शिक्षण में लचीलापन
    सीमाएँ:
  • समय और संसाधनों की अधिक आवश्यकता
  • शिक्षक को अधिक योजना बनानी पड़ती है

3. समस्या-केन्द्रित प्रविधि (Problem-Centered Approach)

इसमें पाठ्यक्रम को समस्याओं पर आधारित बनाकर छात्रों में समस्या-समाधान की क्षमता विकसित की जाती है। जीवन से जुड़ी वास्तविक समस्याओं को पाठ्यचर्या का भाग बनाया जाता है।

विशेषताएँ:

  • जीवनोपयोगी शिक्षा
  • विश्लेषण, आलोचना और निर्णय क्षमता का विकास
    सीमाएँ:
  • विषयों की गहराई से दूरी
  • मूल्यांकन की कठिनाई

4. समाज-केन्द्रित प्रविधि (Society-Centered Approach)

इसमें पाठ्यचर्या को सामाजिक आवश्यकताओं, मूल्यों और समस्याओं के आधार पर बनाया जाता है। इसका उद्देश्य छात्रों को एक जिम्मेदार नागरिक बनाना होता है।

विशेषताएँ:

  • सामाजिक सहभागिता का विकास
  • सामाजिक जागरूकता और उत्तरदायित्व
    सीमाएँ:
  • व्यक्तिगत आवश्यकताओं की उपेक्षा
  • कभी-कभी सामाजिक पक्षपात का समावेश

 अन्य सहायक प्रविधियाँ

  • कार्य अनुभव आधारित प्रविधि (Work Experience Based Approach)
  • एकीकृत पाठ्यचर्या प्रविधि (Integrated Curriculum Approach)
  • संतुलित प्रविधि (Eclectic Approach) – यह एक मिश्रित दृष्टिकोण होता है जिसमें विभिन्न प्रविधियों के श्रेष्ठ तत्वों को मिलाकर पाठ्यचर्या विकसित की जाती है।

 निष्कर्ष

पाठ्यचर्या विकास की प्रविधियाँ शिक्षण को प्रभावशाली और उद्देश्यपूर्ण बनाने में सहायक होती हैं। कोई एक प्रविधि सभी परिस्थितियों में उपयुक्त नहीं होती, इसलिए शिक्षक और पाठ्यक्रम निर्माताओं को परिस्थितियों, छात्रों की आवश्यकताओं और सामाजिक बदलावों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। एक संतुलित पाठ्यचर्या वही होती है जो ज्ञान, कौशल और मूल्यों का समावेश करते हुए छात्रों को संपूर्ण रूप से विकसित करे।

 

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