पाठ्यचर्या विकास में व्यवहारवादी दृष्टिकोण (Behaviorist Approach of Curriculum Development)

 पाठ्यचर्या विकास में व्यवहारवादी दृष्टिकोण (Behaviorist Approach of Curriculum Development)


 व्यवहारवाद (Behaviorism) :-

व्यवहारवाद एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यवहार में परिवर्तन लाना है। यह दृष्टिकोण मानता है कि सभी सीखने योग्य क्रियाएँ व्यक्ति के पर्यावरण और अनुभवों पर आधारित होती हैं, और उन्हें मापन योग्य एवं नियंत्रित किया जा सकता है

 व्यवहारवादी पाठ्यचर्या विकास की परिभाषा:

व्यवहारवादी पाठ्यचर्या विकास एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें साफ-सुथरे, मापन योग्य उद्देश्यों, कदम-दर-कदम शिक्षण, और प्रत्युत्तर एवं पुनर्बलन (reinforcement) के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन लाया जाता है।

 मुख्य विशेषताएँ (Key Features):

  1. लक्ष्य-आधारित (Objective-Based):
    पाठ्यक्रम में स्पष्ट और मापन योग्य उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है।
  2. अनुक्रमिक शिक्षण (Sequential Learning):
    सामग्री को सरल से जटिल क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
  3. प्रशिक्षण और अभ्यास पर बल:
    बार-बार अभ्यास और पुनरावृत्ति द्वारा अधिगम को स्थायी बनाया जाता है।
  4. पुनर्बलन (Reinforcement):
    सही उत्तर या व्यवहार पर सकारात्मक पुनर्बलन दिया जाता है।
  5. मूल्यांकन-आधारित:
    परिणामों का मूल्यांकन उद्देश्यों की पूर्ति के आधार पर किया जाता है।

 प्रमुख सिद्धांतकार (Major Theorists):

नाम योगदान
बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) ऑपेरेंट कंडीशनिंग थ्योरी, व्यवहार में बदलाव के लिए पुरस्कार और दंड का प्रयोग।
ई.एल. थॉर्नडाइक ट्रायल एंड एरर थ्योरी, अभ्यास और प्रभाव के नियम।
जॉन वॉटसन आधुनिक व्यवहारवाद के संस्थापक।

 व्यवहारवादी दृष्टिकोण के अंतर्गत पाठ्यचर्या विकास की प्रक्रिया:

  1. शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण
    (उदाहरण: “विद्यार्थी 3 अंकों का जोड़ ठीक से कर सकेगा।”)
  2. सीखने की सामग्री का चयन
    (उदाहरण: अंकों का जोड़ सिखाने के लिए अभ्यास पत्रक)
  3. शिक्षण विधियों का निर्धारण
    (जैसे: Drill Method, Repetition, Step-by-Step Guidance)
  4. प्रत्युत्तर और पुनर्बलन का प्रयोग
    (सही उत्तर देने पर प्रशंसा या अंक देना)
  5. मूल्यांकन (Evaluation)
    (जैसे: अभ्यास परीक्षण और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों द्वारा)

लाभ (Advantages):

  1. उद्देश्यों की स्पष्टता
  2. सीखने की मापनीयता
  3. व्यवहार में वास्तविक परिवर्तन
  4. अनुशासन और अनुक्रम में अधिगम

 सीमाएँ (Limitations):

  1. रचनात्मकता और आलोचनात्मक चिंतन की कमी
  2. छात्र की भावनाओं और रुचियों की उपेक्षा
  3. केवल बाहरी व्यवहार पर ध्यान केंद्रित
  4. केवल यांत्रिक अधिगम पर आधारित

 निष्कर्ष:

व्यवहारवादी दृष्टिकोण एक उद्देश्य आधारित, क्रमिक, और मापन योग्य पद्धति है, जो शिक्षा में अनुशासन और नियंत्रण को महत्व देती है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में प्रभावी है जहाँ कौशल आधारित शिक्षण की आवश्यकता होती है, जैसे—भाषा शिक्षा, गणित, तकनीकी प्रशिक्षण आदि। हालाँकि, आधुनिक शिक्षा में इसके साथ-साथ संज्ञानात्मक और रचनावादी दृष्टिकोण को भी महत्व दिया जा रहा है।

 

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