पोषण और संतुलित आहार ( Nutrition and balanced diet )

पोषण और संतुलित आहार ( Nutrition and balanced diet )

 

परिचय: मानव शरीर के समुचित विकास, कार्य क्षमता, और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए पोषण अत्यंत आवश्यक है। शरीर को जीवित रहने, कार्य करने, बढ़ने और स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। उचित पोषण और संतुलित आहार एक व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में, खासकर प्राथमिक स्तर पर, शिक्षकों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों को सही खानपान की जानकारी दें और स्वयं भी इससे परिचित रहें।

पोषण का अर्थ (Nutrition Meaning):

पोषण वह जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर भोजन को ग्रहण करता है, पचाता है, पोषक तत्वों को अवशोषित करता है और उन पोषक तत्वों का उपयोग शरीर की वृद्धि, ऊतक मरम्मत, ऊर्जा उत्पादन और शरीर की क्रियाओं के सुचारु संचालन के लिए करता है। इसमें सात प्रमुख पोषक तत्वों की भूमिका होती है: कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज, जल एवं रेशा। प्रत्येक पोषक तत्व शरीर की किसी न किसी आवश्यकता की पूर्ति करता है। उदाहरणस्वरूप, प्रोटीन ऊतकों की मरम्मत और वृद्धि में सहायक है, जबकि कार्बोहाइड्रेट मुख्य ऊर्जा स्रोत है।

संतुलित आहार का अर्थ (Balanced Diet Meaning):

संतुलित आहार वह भोजन है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व–कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज, जल एवं रेशा–सही मात्रा और अनुपात में मौजूद हों ताकि शरीर की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। संतुलित आहार व्यक्ति की आयु, लिंग, शारीरिक गतिविधि, स्वास्थ्य स्थिति और वातावरण के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। इसमें विभिन्न खाद्य समूहों जैसे अनाज, दालें, सब्जियाँ, फल, दूध और दुग्ध उत्पाद, अंडे/मांस, वसा, और पर्याप्त जल का संतुलन होना चाहिए।

संतुलित आहार के घटक:

  1. ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ – चावल, गेहूं, चीनी, आलू आदि
  2. शरीर बनाने वाले खाद्य पदार्थ – दालें, दूध, मांस, अंडे
  3. संरक्षक खाद्य पदार्थ – हरी सब्जियाँ, फल, विटामिन और खनिज युक्त खाद्य
  4. जल और रेशा – पाचन और शरीर की सफाई हेतु आवश्यक

पोषण और संतुलित आहार के उद्देश्य (Aims of Nutrition and Balanced Diet):

  1. शरीर की समुचित वृद्धि एवं विकास सुनिश्चित करना
  2. दैनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करना
  3. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना
  4. मानसिक स्वास्थ्य और कार्यक्षमता को बनाए रखना
  5. कुपोषण और संबंधित रोगों जैसे एनीमिया, थकान, मोटापा आदि से बचाव
  6. व्यक्तित्व विकास एवं आत्मविश्वास में वृद्धि
  7. छात्रों में एकाग्रता, स्मृति एवं शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाना
  8. समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना और सकारात्मक जीवनशैली को बढ़ावा देना

निष्कर्ष:

पोषण और संतुलित आहार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और सामाजिक कल्याण के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि शिक्षक को बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु न केवल अकादमिक ज्ञान देना होता है बल्कि स्वास्थ्य और खानपान जैसे जीवनोपयोगी विषयों पर भी मार्गदर्शन देना होता है। इसलिए B.Ed प्रशिक्षुओं को पोषण और संतुलित आहार का संपूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है ताकि वे स्वस्थ समाज निर्माण में योगदान दे सकें।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top