मुद्रात्मक विकृतियाँ एवं उनका प्रबंधन ( Postural Deformities and Their Management )
मुद्रात्मक विकृतियाँ ( Postural Deformities)
मुद्रात्मक विकृतियाँ वे असामान्य अवस्थाएँ होती हैं, जब शरीर के अंग अपने सामान्य संरेखण से हट जाते हैं और शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। यह विकृतियाँ जन्मजात हो सकती हैं या गलत जीवनशैली, खराब बैठने/खड़े होने की आदतों तथा मांसपेशियों की कमजोरी के कारण उत्पन्न हो सकती हैं।
मुख्य मुद्रात्मक विकृतियाँ (Major Postural Deformities):
1. कायफोसिस (Kyphosis)
- पीठ के ऊपरी हिस्से की अत्यधिक झुकाव वाली स्थिति।
- व्यक्ति की पीठ बाहर की ओर गोल दिखाई देती है (कुबड़ जैसा)।
- कारण: खराब बैठने की आदतें, कमजोर पीठ की मांसपेशियाँ।
2. लॉर्डोसिस (Lordosis)
- रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में अत्यधिक अंदर की ओर झुकाव।
- पेट आगे की ओर निकल जाता है।
- कारण: मोटापा, कमर की मांसपेशियों में असंतुलन।
3. स्कोलिओसिस (Scoliosis)
- रीढ़ की हड्डी का एक ओर मुड़ जाना (सामान्यतः ‘S’ या ‘C’ आकार में)।
- शरीर का एक कंधा नीचे या एक ओर झुका हुआ होता है।
- कारण: जन्मजात, एक ही हाथ से भारी सामान उठाना।
4. फ्लैट फुट (Flat Foot)
- पैरों के तलवों में सामान्य आर्च (घुमाव) का अभाव।
- कारण: जन्मजात, अधिक वजन, गलत जूते पहनना।
5. नॉक नी (Knock Knees)
- जब दोनों घुटने आपस में टकराते हैं लेकिन टखने अलग रहते हैं।
- कारण: विटामिन D की कमी, रिकेट्स।
6. बो लेग (Bow Legs)
- जब दोनों टांगों के बीच में अंतर होता है, और वे धनुष की तरह झुकी होती हैं।
- कारण: जन्मजात, कैल्शियम की कमी।
मुद्रात्मक विकृतियों का प्रबंधन (Management of Postural Deformities):
1. व्यायाम और फिजियोथेरेपी:
- रीढ़, कंधे, कमर, और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए विशेष व्यायाम।
- तैराकी, स्ट्रेचिंग, योग आदि प्रभावी हैं।
2. सही बैठने, खड़े होने और चलने की तकनीक:
- मुद्रा की जागरूकता बढ़ाना।
- उचित ऊंचाई वाली कुर्सियाँ और डेस्क का उपयोग।
3. ऑर्थोपेडिक उपकरणों का प्रयोग:
- विशेष जूते, बेल्ट, बैक सपोर्ट, ब्रेसेस आदि।
4. सर्जरी (केवल गंभीर मामलों में):
- जब विकृति बहुत अधिक हो और अन्य उपाय प्रभावी न हों।
5. पोषण में सुधार:
- विटामिन D, कैल्शियम और प्रोटीन युक्त आहार।
6. शारीरिक शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम:
- विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों को मुद्रा संबंधित शिक्षा देना।
निष्कर्ष (Conclusion):
मुद्रात्मक विकृतियाँ शारीरिक विकास को बाधित करती हैं और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं। इसलिए इनका समय पर निदान और प्रबंधन आवश्यक है। B.Ed छात्रों और शिक्षकों को यह समझना चाहिए कि कैसे उचित व्यायाम, पोषण, जागरूकता और उपकरणों के माध्यम से इन विकृतियों को रोका और सुधारा जा सकता है।