रेडिकल नारीवाद (Radical Feminism)

 

 रेडिकल नारीवाद (Radical Feminism) 

🔹 परिचय (Introduction)

रेडिकल नारीवाद, नारीवाद की एक ऐसी शाखा है जो यह मानती है कि समाज की समस्त संरचना पितृसत्ता (Patriarchy) पर आधारित है और यही महिलाओं के शोषण का मूल कारण है। इसके अनुसार महिलाओं की वास्तविक स्वतंत्रता तब तक संभव नहीं है जब तक पितृसत्तात्मक व्यवस्थाओं को जड़ से समाप्त नहीं किया जाता।

रेडिकल नारीवादी यह मानते हैं कि केवल कानूनों और नीतियों में सुधार से महिलाओं की स्थिति नहीं बदलेगी, बल्कि समाज की सोच, परंपराएं, संस्थाएं और सांस्कृतिक दृष्टिकोण भी पूरी तरह बदलने की आवश्यकता है।

 रेडिकल नारीवाद की परिभाषा (Definition of Radical Feminism)

रेडिकल नारीवाद एक ऐसा विचार है जो पितृसत्तात्मक समाज की सभी संस्थाओं को महिलाओं के उत्पीड़न का माध्यम मानता है और इस व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करने की वकालत करता है।

👉 शुलामिथ फायरस्टोन के अनुसार –“स्त्री-पुरुष के संबंधों को बदलना केवल निजी नहीं बल्कि राजनीतिक और क्रांतिकारी कार्य है।”

 रेडिकल नारीवाद की उत्पत्ति और पृष्ठभूमि

रेडिकल नारीवाद की उत्पत्ति 1960 और 1970 के दशक में पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका में हुई। यह आंदोलन उस समय के दूसरे चरण के नारीवाद (Second Wave Feminism) का हिस्सा था, जब महिलाएं केवल समान अधिकारों से आगे बढ़कर सामाजिक और यौन स्वतंत्रता की मांग करने लगी थीं।

 रेडिकल नारीवाद की प्रमुख विशेषताएँ (Characteristics of radical feminism)

  1. पितृसत्ता के विरुद्ध संघर्ष
    यह विचारधारा मानती है कि पुरुष वर्चस्व (Male Dominance) ही समाज की हर समस्या की जड़ है।
  2. ‘Personal is Political’ का सिद्धांत
    रेडिकल नारीवाद का मानना है कि घरेलू हिंसा, बलात्कार, गर्भपात का अधिकार जैसी चीजें निजी नहीं, राजनीतिक मुद्दे हैं।
  3. यौनिकता पर नियंत्रण का विरोध
    महिलाओं की यौनिकता पर पुरुषों के नियंत्रण को यह विचारधारा गहराई से चुनौती देती है।
  4. सामाजिक संस्थाओं की आलोचना
    विवाह, परिवार, धर्म और शिक्षा को यह महिलाविरोधी संस्थाएं मानते हैं।
  5. क्रांतिकारी सोच
    केवल सुधार नहीं बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्रांति की आवश्यकता को यह स्वीकार करता है।

 रेडिकल नारीवाद की प्रमुख विचारक (Major Thinkers)

नाम योगदान
शुलामिथ फायरस्टोन (Shulamith Firestone) “The Dialectic of Sex” पुस्तक में यौनिकता को वर्ग-संघर्ष से जोड़ा।
केट मिलेट (Kate Millett) “Sexual Politics” पुस्तक में पितृसत्ता के सांस्कृतिक रूप को उजागर किया।
एंड्रिया ड्वोर्किन (Andrea Dworkin) पोर्नोग्राफी को स्त्रियों के खिलाफ हिंसा का माध्यम बताया।
मैरी डेली (Mary Daly) धर्म और चर्च को स्त्रीद्वेषी संस्थाएं बताया।

 रेडिकल नारीवाद का उद्देश्य (Objectives)

  • पितृसत्ता का समूल नाश
  • महिलाओं को यौन, आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनाना
  • लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना
  • सामाजिक संस्थाओं का पुनर्निर्माण करना

 रेडिकल नारीवाद की आलोचना (Criticism)

  1. अत्यधिक चरमपंथी दृष्टिकोण
    पारिवारिक संस्था को भी पूरी तरह ख़ारिज कर देना व्यवहारिक नहीं माना गया है।
  2. समाधान की कमी
    रेडिकल नारीवाद समाज की खामियों को तो उजागर करता है लेकिन उनके यथार्थवादी समाधान नहीं देता।
  3. विविधता की अनदेखी
    यह विचारधारा सभी महिलाओं की भिन्न-भिन्न पहचान, जैसे – जाति, वर्ग, नस्ल आदि को एकसमान मान लेती है।
  4. पुरुष विरोधी दृष्टिकोण
    कई बार यह आंदोलन पुरुषों को शत्रु के रूप में प्रस्तुत करता है, जो सामाजिक सहयोग के विपरीत है।

 निष्कर्ष (Conclusion)

रेडिकल नारीवाद एक क्रांतिकारी सोच है जो नारी मुक्ति को केवल क़ानूनी अधिकारों तक सीमित नहीं मानता, बल्कि समाज की पूरी संरचना को बदलने की माँग करता है। यह महिलाओं के अस्तित्व, यौनिकता और गरिमा को एक नए दृष्टिकोण से देखने का मार्ग प्रदान करता है। हालांकि इसकी कुछ सीमाएं हैं, फिर भी यह स्त्री विमर्श के इतिहास में एक शक्तिशाली विचारधारा के रूप में स्थापित है।

 

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