विभाजन से समावेशन की ओर संक्रमण ( Transition from Segregation to Inclusion )

विभाजन से समावेशन की ओर संक्रमण | Transition from Segregation to Inclusion |


परिचय (Introduction):-

शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि सभी बच्चों को समान अवसर, सम्मान और आत्मनिर्भरता प्रदान करना भी है। पहले के समय में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य छात्रों से अलग रखकर शिक्षा दी जाती थी, जिसे “विभाजन या पृथक्करण (Segregation)” कहा जाता था। लेकिन अब शिक्षा का दृष्टिकोण बदल चुका है और “समावेशी शिक्षा (Inclusive Education)” की अवधारणा को अपनाया गया है। यह संक्रमण समाज में समानता और सहभागिता को बढ़ावा देता है।

 विभाजन (Segregation) :-

विभाजन एक ऐसी प्रणाली है जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य विद्यालयों से अलग विशेष विद्यालयों या संस्थानों में पढ़ाया जाता है।

  • यह दृष्टिकोण मानता है कि इन बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग रखना ही उनके लिए उपयुक्त है।
  • इसमें समाज में दूरी और भेदभाव की भावना पनपती है।

 समावेशन (Inclusion) :

समावेशन वह शिक्षा प्रणाली है जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी सामान्य बच्चों के साथ एक ही कक्षा और विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होता है।

  • यह सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है।
  • इसमें विविधता को स्वीकार किया जाता है और सहयोगपूर्ण वातावरण बनाया जाता है।

 विभाजन से समावेशन की ओर संक्रमण के चरण (Phases of Transition):

1. विभाजन (Segregation) – प्रारंभिक अवस्था

  • विशेष विद्यालयों की स्थापना।
  • अलगाव और भेदभाव।

2. एकीकरण (Integration) – मध्यवर्ती अवस्था

  • विशेष बच्चों को सामान्य विद्यालयों में शामिल किया गया, लेकिन पर्याप्त संसाधन और समर्थन नहीं था।
  • शारीरिक रूप से तो शामिल थे, लेकिन सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर नहीं।

3. समावेशन (Inclusion) – उन्नत अवस्था

  • बच्चों को न केवल विद्यालय में शामिल किया गया, बल्कि उनके लिए अनुकूल वातावरण भी तैयार किया गया।
  • संसाधन शिक्षक, विशेष पाठ्यक्रम, सहयोगी अधिगम तकनीकें अपनाई गईं।

 समावेशन की विशेषताएँ (Characteristics of Inclusive Education):

  • सभी छात्रों के लिए समान अवसर।
  • विविधता का सम्मान।
  • सहयोगात्मक अधिगम (Cooperative Learning)।
  • शिक्षकों का प्रशिक्षण और समर्थन।
  • सहायक सेवाएँ (जैसे – विशेष शिक्षक, परामर्शदाता)।

 इस संक्रमण की चुनौतियाँ (Challenges in the Transition):

  • शिक्षकों की प्रशिक्षण की कमी।
  • संसाधनों की अपर्याप्तता।
  • सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव लाना कठिन।
  • भौतिक संरचना (रैम्प, विशेष उपकरण) की कमी।

 समावेशन के लिए आवश्यक कदम (Steps to Strengthen Inclusion):

  1. शिक्षकों का संवेदनशीलता प्रशिक्षण।
  2. सभी के लिए लचीला पाठ्यक्रम।
  3. सहायक तकनीकों का प्रयोग (Assistive Technology)।
  4. समाज में जागरूकता अभियान।
  5. शिक्षण में विविध दृष्टिकोणों का समावेश।

 निष्कर्ष (Conclusion):-

विभाजन से समावेशन की ओर संक्रमण केवल एक शैक्षिक बदलाव नहीं है, यह एक सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्व भी है। यह परिवर्तन एक ऐसे समाज की स्थापना करता है जिसमें हर बच्चा, चाहे वह किसी भी आवश्यकता वाला क्यों न हो, सम्मान और समान अवसर के साथ विकसित हो सके।

 

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