शिक्षा मनोविज्ञान : अवधारणा एवं क्षेत्र
(Educational Psychology: Concept and Scope)
🔹 प्रस्तावना:
भारत विश्व की सबसे प्राचीन ज्ञान परंपराओं का केंद्र रहा है। यहाँ शिक्षा और मनोविज्ञान की जड़ें वैदिक युग से जुड़ी हुई हैं। प्राचीन जैन ग्रंथों, वेदों, उपनिषदों, स्मृतियों और दर्शन शास्त्रों में शिक्षा और मानव व्यवहार से जुड़ी बातों का विस्तार से उल्लेख मिलता है। महाभारत में मानव विकास की दस अवस्थाओं का वर्णन किया गया है — जैसे शैशव, बाल्यावस्था, कैशोर्य, वृद्धावस्था आदि।
🔹 शिक्षा और मनोविज्ञान का संबंध:
प्राचीन काल में शिक्षा और मनोविज्ञान अलग-अलग नहीं थे। गुरु अपने विद्यार्थियों के व्यवहार, स्वभाव, प्रवृत्तियों और समस्याओं को भलीभांति समझते थे। वे शिक्षा के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्व और व्यवहार का विकास करते थे। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा सदैव मनोविज्ञान से जुड़ी रही है।
🔹 शिक्षा मनोविज्ञान का प्रारंभ:
शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पत्ति को लेकर विद्वानों के मत भिन्न हैं। कोलेसनिक (Kolesnik) के अनुसार, इसका प्रारंभ यूनान के दार्शनिक प्लेटो से हुआ। उन्होंने शिक्षा और मनोविज्ञान के सिद्धांतों की नींव रखी। दूसरी ओर, स्किनर (Skinner) का मानना है कि शिक्षा मनोविज्ञान की शुरुआत प्लेटो के शिष्य अरस्तू के समय से मानी जा सकती है।
🔹 आधुनिक शिक्षा मनोविज्ञान की नींव:
यूरोप में पेस्टालॉजी, हरबार्ट और फ्रॉबेल जैसे महान शिक्षाविदों ने शिक्षा को मनोवैज्ञानिक आधार देने का प्रयास किया। इन सभी को शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा रूसो से मिली, जिसने शिक्षा को मानव स्वभाव के अनुकूल बनाने पर बल दिया। इसके बाद मारिया मॉण्टेसरी ने प्रयोगात्मक मनोविज्ञान को शिक्षा से जोड़ा और कहा — “जितना अधिक शिक्षक को प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का ज्ञान होगा, उतना ही बेहतर वह पढ़ा सकेगा।”
🔹 शिक्षा मनोविज्ञान का वैज्ञानिक विकास:
शिक्षा मनोविज्ञान को मनोविज्ञान की एक स्वतंत्र शाखा के रूप में 20वीं शताब्दी की शुरुआत में पहचान मिली। अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों जैसे थार्नडाइक, जुड, टर्मन और स्टेनले हॉल के कार्यों के कारण यह क्षेत्र और अधिक विकसित हुआ। 1920 तक शिक्षा मनोविज्ञान ने एक स्पष्ट और व्यवस्थित रूप ले लिया। इसके बाद 1940 में American Psychological Association और 1947 में National Society of College Teachers of Education ने इसके विकास को और बढ़ाया।
🔹 शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा:-
स्किनर के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध पढ़ाने और सीखने की प्रक्रिया से है।” यह विषय इस बात की गहराई से पड़ताल करता है कि विद्यार्थी कैसे सीखते हैं, शिक्षक किस प्रकार पढ़ाते हैं और शिक्षण को प्रभावशाली कैसे बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष:-
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक, छात्र और शिक्षण प्रक्रिया के बीच के व्यवहार को समझने का वैज्ञानिक माध्यम है। यह न केवल ज्ञान के आदान-प्रदान को सरल बनाता है, बल्कि शिक्षा को अधिक प्रभावी, उद्देश्यपूर्ण और मानवीय भी बनाता है। आज के समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की समझ अनिवार्य हो गई है।