समावेशी शिक्षा: अवधारणा, अर्थ और आवश्यकता (Inclusive Education: Concept, Meaning and Needs)

 

 समावेशी शिक्षा: अवधारणा, अर्थ और आवश्यकता

(Inclusive Education: Concept, Meaning and Need)

🔹 अवधारणा (Concept):_

समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षण प्रणाली है जो यह मानती है कि सभी बच्चों को – चाहे वे किसी भी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक या भाषाई पृष्ठभूमि से हों – एक साथ, एक ही कक्षा में, समान अवसरों के साथ सीखने का अधिकार है। इसका उद्देश्य एक ऐसा स्कूल वातावरण बनाना है जहाँ विविधता को स्वीकार किया जाए और हर छात्र को उसकी विशेष ज़रूरतों के अनुसार समर्थन मिले।समावेशी शिक्षा केवल विकलांग बच्चों के लिए नहीं होती, बल्कि यह सभी प्रकार की विविधताओं को अपनाने और उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने की प्रक्रिया है।

🔹 अर्थ (Meaning):-

समावेशी शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है – “सभी को सम्मिलित करते हुए शिक्षा देना”। इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता – न लिंग के आधार पर, न शारीरिक अक्षमता, न जाति, न धर्म, न आर्थिक स्थिति के कारण। इसमें शिक्षक, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ और स्कूल का वातावरण इस प्रकार से बनाया जाता है कि हर छात्र को सीखने में सहायता मिल सके।

इसका मूल उद्देश्य है:
● शिक्षा सबके लिए समान रूप से सुलभ हो
● अलगाव या बहिष्करण की नीति को समाप्त किया जाए
● हर छात्र को अपनी पूर्ण क्षमता विकसित करने का अवसर मिले

🔹 आवश्यकता (Need):-

  1. समानता और मानवाधिकार – संविधान और शिक्षा नीति सभी बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार देती है।
  2. भेदभाव मिटाना – समाज में जाति, लिंग, विकलांगता आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव को कम करने में सहायक।
  3. सामाजिक समावेशन – बच्चे विविधताओं को समझते हैं, एक-दूसरे का सहयोग करना सीखते हैं।
  4. विकलांग और वंचित बच्चों को अवसर – जो बच्चे पहले अलग स्कूलों में पढ़ते थे, अब उन्हें सामान्य स्कूलों में शिक्षा मिलती है।
  5. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) का समर्थन – NEP में समान, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
  6. भावनात्मक और नैतिक विकास – बच्चे करुणा, सहानुभूति और सहयोग जैसे मानवीय गुणों को अपनाते हैं।

निष्कर्ष:-
समावेशी शिक्षा केवल एक शैक्षिक मॉडल नहीं, बल्कि एक सामाजिक दर्शन है जो सभी को साथ लेकर चलने की सोच को दर्शाता है। यह शिक्षा को एक अधिकार और जिम्मेदारी दोनों मानती है और हर बच्चे को गरिमा और सम्मान के साथ सीखने का अवसर देती है।

 

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