समावेशी शिक्षा के सिद्धांत एवं मॉडल | Principles and Models of Inclusive Education |
परिचय (Introduction):-
समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) -वह दृष्टिकोण है जिसमें सभी बच्चों को, चाहे वे किसी भी प्रकार की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, या भावनात्मक आवश्यकता वाले हों, समान शैक्षिक अवसर प्रदान किए जाते हैं। इसमें भेदभाव को नकारते हुए विविधता को स्वीकार किया जाता है।
इस दृष्टिकोण को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए कुछ सिद्धांतों (Principles) और मॉडलों (Models) का पालन किया जाता है, जो शिक्षकों, संस्थानों और नीति निर्माताओं के लिए मार्गदर्शक का कार्य करते हैं।
समावेशी शिक्षा के सिद्धांत (Principles of Inclusive Education):-
1. समानता का सिद्धांत (Principle of Equality)
- हर विद्यार्थी को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर प्रदान किए जाएँ।
2. व्यक्तिगत भिन्नता का सम्मान (Respect for Individual Differences)
- हर बच्चे की आवश्यकता, क्षमता और रुचि अलग होती है, जिसे समझना और स्वीकार करना आवश्यक है।
3. सक्रिय भागीदारी का सिद्धांत (Principle of Active Participation)
- सभी बच्चों को शिक्षण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए।
4. लचीले पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन (Flexible Curriculum and Evaluation)
- शिक्षण सामग्री और मूल्यांकन पद्धति को विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करना चाहिए।
5. सहयोगात्मक अधिगम का सिद्धांत (Principle of Cooperative Learning)
- विद्यार्थी एक-दूसरे के साथ मिलकर सीखें और सहानुभूति विकसित करें।
6. सहायक वातावरण का सिद्धांत (Supportive Environment)
- विद्यालय में ऐसा वातावरण हो जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चे स्वयं को सुरक्षित और समर्थ महसूस करें।
7. सामुदायिक सहभागिता का सिद्धांत (Principle of Community Participation)
- माता-पिता, समुदाय और विशेषज्ञों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
समावेशी शिक्षा के मॉडल (Models of Inclusive Education):-
1. स्थायी समावेशन मॉडल (Full Inclusion Model)
- सभी विद्यार्थी एक ही कक्षा में एक साथ पढ़ते हैं, चाहे उनकी विशेष आवश्यकताएँ कुछ भी हों।
- संसाधन शिक्षक और सहायक सेवाएँ उसी कक्षा में उपलब्ध कराई जाती हैं।
2. आंशिक समावेशन मॉडल (Partial Inclusion Model)
- विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी कुछ समय सामान्य कक्षा में और कुछ समय विशेष कक्षाओं या समर्थन सेवाओं में बिताते हैं।
3. सह-शिक्षण मॉडल (Co-Teaching Model)
- सामान्य शिक्षक और विशेष शिक्षक एक साथ मिलकर एक ही कक्षा में पढ़ाते हैं।
4. संसाधन कक्ष मॉडल (Resource Room Model)
- विशेष आवश्यकता वाले छात्र सामान्य कक्षा में पढ़ते हैं, लेकिन अतिरिक्त सहायता के लिए एक विशेष संसाधन कक्ष में जाते हैं।
5. उत्तरदायित्व आधारित मॉडल (Responsibility-Based Model)
- इसमें प्रत्येक शिक्षक, संस्था और शिक्षा विभाग की समावेशी शिक्षा के प्रति स्पष्ट भूमिका और उत्तरदायित्व तय किए जाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):-
समावेशी शिक्षा आज के समय की एक आवश्यक और मानवीय आवश्यकता है। इसके सिद्धांतों के पालन और मॉडलों के सही प्रयोग से हम एक ऐसा शैक्षिक वातावरण बना सकते हैं जो सभी विद्यार्थियों के लिए न्यायपूर्ण, सहयोगात्मक और समावेशी हो। B.Ed छात्रों को चाहिए कि वे इन सिद्धांतों को न केवल सैद्धांतिक रूप से समझें बल्कि व्यावहारिक शिक्षण में भी अपनाएँ।