सामाजिककरण, वर्ग, जेंडर और विभाजन (Socialization, Class, Gender and Division)

सामाजिककरण, वर्ग, जेंडर और विभाजन (Socialization, Class, Gender and Division):-

 

सामाजिककरण (Socialization):- वह निरंतर प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज में रहना, सामाजिक मान्यताओं को समझना, और विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं को निभाना सीखता है। यह प्रक्रिया बचपन से ही शुरू होती है और जीवनभर चलती रहती है। सामाजिककरण के मुख्य एजेंट होते हैं – परिवार, विद्यालय, सहकर्मी, मीडिया और धार्मिक संस्थाएँ। इन माध्यमों के ज़रिए व्यक्ति यह सीखता है कि समाज उससे किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा करता है, उसे कैसे बोलना, सोचना और प्रतिक्रिया देना है। यह प्रक्रिया न केवल सामाजिक व्यवहार सिखाती है, बल्कि व्यक्ति की पहचान, रुचियों और दृष्टिकोण का भी निर्माण करती है।

वर्ग (Class): समाज में व्यक्तियों के बीच सामाजिक-आर्थिक असमानता का प्रतिनिधित्व करता है। वर्ग का निर्धारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, आय, संपत्ति, शिक्षा, पेशा और सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर होता है। समाज आमतौर पर तीन वर्गों में विभाजित होता है – उच्च वर्ग, मध्य वर्ग और निम्न वर्ग। प्रत्येक वर्ग की सामाजिक स्थितियाँ, शिक्षा के अवसर, जीवनशैली, और सामाजिक अपेक्षाएँ भिन्न होती हैं। वर्गीय भिन्नता शिक्षा पर सीधा प्रभाव डालती है। उच्च वर्ग के बच्चों को बेहतर विद्यालय, तकनीकी संसाधन और सहायक वातावरण मिलता है, जबकि निम्न वर्ग के बच्चों को संसाधनों की कमी, भेदभाव और सीमित अवसरों का सामना करना पड़ता है।

जेंडर (Gender):- एक सामाजिक और सांस्कृतिक निर्माण है, जो यह तय करता है कि किसी समाज में स्त्री और पुरुष से किस तरह के व्यवहार, कार्य और भूमिकाओं की अपेक्षा की जाती है। यह प्राकृतिक न होकर सामाजिक रूप से सीखा और थोपा गया होता है। उदाहरण के लिए, यह धारणा कि लड़कियाँ घरेलू कार्यों में अच्छी होती हैं और लड़के बाहरी कामों में – एक जेंडर आधारित सोच है। जेंडर भूमिकाएँ सामाजिककरण की प्रक्रिया में ही बनती हैं, जैसे बच्चों को खिलौने, रंग, कपड़े और व्यवहार समाज उनकी जेंडर पहचान के आधार पर सिखाता है।

विभाजन (Division): वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से समाज में व्यक्तियों को उनकी जेंडर, वर्ग, जाति, धर्म या भाषा के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बाँट दिया जाता है। जेंडर और वर्ग के आधार पर विभाजन शिक्षा व्यवस्था में भी देखा जा सकता है, जैसे – स्कूलों में लड़कियों को कम तकनीकी विषयों की ओर प्रेरित करना, या निम्न वर्ग के बच्चों को कम गुणवत्ता वाली शिक्षा तक सीमित रखना। यह विभाजन सामाजिक असमानता को बढ़ावा देता है और अवसरों की बराबरी में बाधा बनता है।

सामाजिककरण, वर्ग, जेंडर और विभाजन – ये चारों तत्व एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। व्यक्ति का सामाजिकरण उसकी वर्गीय स्थिति और जेंडर पहचान के अनुसार होता है, जिससे उसके सोचने, समझने, सीखने और आगे बढ़ने के अवसर प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिए, एक निम्न वर्ग की लड़की को न केवल आर्थिक सीमाओं से, बल्कि जेंडर आधारित भेदभाव और सामाजिक अपेक्षाओं से भी संघर्ष करना पड़ता है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि समाज में व्याप्त विभाजन किस प्रकार सामाजिक न्याय और समानता के रास्ते में बाधा बनता है।

निष्कर्ष:- एक शिक्षक के रूप में इन अवधारणाओं की गहरी समझ अत्यंत आवश्यक है ताकि हर छात्र को उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि को समझते हुए समावेशी और संवेदनशील शिक्षा प्रदान की जा सके। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि सामाजिक बराबरी और न्याय की ओर भी प्रेरित करना है।

 

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