पितृसत्ता (Patriarchy) –
पितृसत्ता एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसमें पुरुषों को प्रमुख सत्ता, अधिकार और निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त होती है। इस व्यवस्था में महिलाएं अधीन भूमिका में होती हैं और उन्हें सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से पीछे रखा जाता है।
पितृसत्ता की परिभाषाएँ
सिल्विया वॉल्बी: “पितृसत्ता एक सामाजिक संरचना और व्यवहारों की प्रणाली है जिसमें पुरुष, महिलाओं पर अधिकार, शोषण और नियंत्रण करते हैं।”
गर्डा लेर्नर: “पितृसत्ता एक ऐतिहासिक निर्माण है जिसने पुरुषों को महिलाओं पर सत्ता प्रदान की।”
पितृसत्ता की विशेषताएँ
- पुरुष प्रधानता और निर्णय लेने की शक्ति
- लैंगिक भूमिकाओं का निर्धारण (पुरुष: कमाने वाले, महिला: देखभाल करने वाली)
- महिलाओं की स्वतंत्रता पर सामाजिक नियंत्रण
- पैतृक संपत्ति प्रणाली – संपत्ति केवल पुरुषों को
- महिलाओं के शरीर पर नियंत्रण (कपड़े, यौनता, प्रजनन)
- शिक्षा, राजनीति व नौकरी में महिलाओं की कम भागीदारी
पितृसत्ता के प्रकार
- निजी पितृसत्ता: परिवार में (पिता या पति का नियंत्रण)
- सार्वजनिक पितृसत्ता: समाज, कार्यस्थल व संस्थानों में
- सांस्कृतिक पितृसत्ता: धर्म, रीति-रिवाज, मीडिया आदि के माध्यम से
शिक्षा पर पितृसत्ता का प्रभाव
क्षेत्र | प्रभाव |
---|---|
प्रवेश | लड़कियों को उच्च शिक्षा से रोका जाता है |
पाठ्यक्रम | पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक पक्षपात |
कक्षा सहभागिता | लड़कियों को दबा हुआ व्यवहार सिखाया जाता है |
अनुशासन | लड़कियों पर अधिक नियंत्रण |
करियर विकल्प | विषयों को लड़कों और लड़कियों में बाँट कर देखा जाता है |
पाठ्यक्रम और पितृसत्ता
- छिपा हुआ पाठ्यक्रम (Hidden Curriculum) लड़कियों को कमजोर और सेवा करने वाली भूमिका में दिखाता है।
- शिक्षकों को लैंगिक समानता आधारित शिक्षा अपनानी चाहिए।
- पाठ्यक्रम में समावेशी भाषा और चित्रों का उपयोग होना चाहिए।
शिक्षक की भूमिका
- कक्षा में लड़के-लड़कियों को समान अवसर देना
- लैंगिक भेदभाव रहित उदाहरणों का प्रयोग
- सेक्सिस्ट सामग्री पर सवाल उठाना
- दोनों को सक्रिय रूप से शामिल करना
- लैंगिक उत्पीड़न व पक्षपात पर सख्त रवैया अपनाना
नारीवादी दृष्टिकोण
नारीवादी आंदोलन पितृसत्ता को महिलाओं की असमानता की जड़ मानते हैं।
- उदारवादी नारीवाद: समान अधिकारों की मांग
- कट्टरपंथी नारीवाद: पूरी पितृसत्तात्मक व्यवस्था को खत्म करने की मांग
- समाजवादी नारीवाद: पितृसत्ता और आर्थिक शोषण को एक साथ देखता है
निष्कर्ष
पितृसत्ता केवल एक पारिवारिक ढांचा नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक समस्या है। एक शिक्षक के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम शिक्षा प्रणाली में लैंगिक समानता को बढ़ावा दें, भेदभाव का विरोध करें और एक समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करें