Child Development & Pedagogy

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बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत (Principles of Child-Centered Education)

बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत (Principles of Child-Centered Education )  1. स्वाभाविक विकास का सिद्धांत (Principle of Natural Development) बाल केंद्रित शिक्षा यह मानती है कि प्रत्येक बालक की अपनी अलग गति और प्रकृति होती है। शिक्षा का उद्देश्य बालक की इन स्वाभाविक प्रवृत्तियों और क्षमताओं को विकसित करना होना चाहिए, उन्हें दबाना नहीं।  2. […]

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बाल केंद्रित शिक्षा (Child-Centered Education)

परिचय (Introduction) बाल केंद्रित शिक्षा एक ऐसी शिक्षण पद्धति है जिसमें शिक्षा का केंद्र बिंदु बालक (विद्यार्थी) होता है, न कि विषयवस्तु या शिक्षक। इसका उद्देश्य बालक के स्वाभाविक विकास को प्रोत्साहित करना है। बाल केंद्रित शिक्षा की परिभाषाएँ (Definitions of Child-Centered Education) 1. जॉन ड्यूई (John Dewey):“शिक्षा बालक के अनुभवों, अभिरुचियों और समस्याओं से

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बाल केंद्रित पाठ्यचर्या (Child-Centered Curriculum)

बाल केंद्रित पाठ्यचर्या एक ऐसी शैक्षिक पद्धति है जो बच्चों की रुचियों, क्षमताओं, आवश्यकताओं, अनुभवों और विकासात्मक स्तर को केंद्र में रखकर तैयार की जाती है। इस प्रकार की पाठ्यचर्या में विद्यार्थी को शिक्षा की प्रक्रिया का सक्रिय भागीदार माना जाता है, न कि केवल एक निष्क्रिय श्रोता। जॉन ड्यूई के अनुसार:“बालक ही शिक्षा का

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पाठ्यचर्या (Curriculum)

पाठ्यचर्या की परिभाषा (Definition of Curriculum):- पाठ्यचर्या का अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान या विषयवस्तु तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र अनुभव है जो शिक्षण–अधिगम की प्रक्रिया के दौरान विद्यार्थी को प्राप्त होता है। “पाठ्यचर्या वह समस्त अनुभवों का समूह है जो विद्यालय विद्यार्थी को प्रदान करता है, चाहे वे कक्षा में हों या

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बाल विकास की अवस्था (12 से 18 वर्ष तक)

बाल विकास की अवस्था (12 से 18 वर्ष तक) – किशोरावस्था परिचय (Introduction):- 12 से 18 वर्ष की आयु को किशोरावस्था (Adolescence) कहा जाता है। यह जीवन का एक संक्रमणकाल होता है, जहाँ बच्चा धीरे-धीरे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं नैतिक रूप से वयस्कता (Adulthood) की ओर बढ़ता है। बाल विकास की प्रमुख अवस्थाएँ (12 से

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बाल विकास की अवस्थाएं (6 से 11 वर्ष तक) | Stages of child development

बाल विकास की अवस्थाएं (6 से 11 वर्ष तक)  अवस्था का नाम: मध्य बाल्यावस्था (Middle Childhood) आयु सीमा: 6 से 11 वर्ष विकास का चरण: विद्यालयीन अवस्था (School-going Age)  1. शारीरिक विकास (Physical Development) यह अवस्था शारीरिक दृष्टि से स्थिर वृद्धि की होती है। हड्डियाँ मजबूत होती हैं और मांसपेशियों का समन्वय बेहतर होता है।

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बाल विकास के सिद्धांत (Principles of Child Development)

बाल विकास के सिद्धांत (Principles of Child Development) 1. सततता का सिद्धांत (Principle of Continuity) यह सिद्धांत कहता है कि बाल विकास एक सतत (Continuous) प्रक्रिया है। यह किसी भी अवस्था में रुकता नहीं है। विकास जन्म से शुरू होकर जीवन के अंतिम क्षण तक चलता है। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक आदि सभी पक्षों का

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विकास की अवधारणा और अधिगम से उसका संबंध (Concept of Development and Its Relationship with Learning)

विकास की अवधारणा और अधिगम से उसका संबंध ( Concept of Development and Its Relationship with Learning ) विकास की अवधारणा (Concept of Development): विकास (Development) एक सतत, क्रमिक और व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक रूप से परिपक्व होता है। यह जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने

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