Health and Physical Education

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व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal Hygiene)

व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal Hygiene) परिभाषा (Definition):- व्यक्तिगत स्वच्छता से तात्पर्य है – शरीर, वस्त्र, भोजन, और वातावरण की नियमित सफाई और देखभाल, जिससे व्यक्ति स्वस्थ और रोगमुक्त बना रहे। यह अच्छे स्वास्थ्य की आधारशिला है और समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आवश्यक है। व्यक्तिगत स्वच्छता के उद्देश्य (Objectives of Personal Hygiene) शरीर को […]

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मुद्रात्मक विकृतियाँ एवं उनका प्रबंधन ( Postural Deformities and Their Management )

मुद्रात्मक विकृतियाँ एवं उनका प्रबंधन ( Postural Deformities and Their Management ) मुद्रात्मक विकृतियाँ ( Postural Deformities) मुद्रात्मक विकृतियाँ वे असामान्य अवस्थाएँ होती हैं, जब शरीर के अंग अपने सामान्य संरेखण से हट जाते हैं और शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। यह विकृतियाँ जन्मजात हो सकती हैं या गलत जीवनशैली, खराब बैठने/खड़े होने की

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मुद्रा की अवधारणा और मूल्य ( Concept and Values of Posture )

मुद्रा की अवधारणा और मूल्य | Concept and Values of Posture | मुद्रा की अवधारणा (Concept of Posture) मुद्रा (Posture) का अर्थ शरीर की उस स्थिति से है, जिसमें व्यक्ति खड़ा होता है, बैठता है या चलता है। यह शरीर की संरेखण (alignment) को दर्शाता है जिसमें सिर, कंधे, रीढ़ की हड्डी, कूल्हे, घुटने और

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Posture: Health and Physical Health (स्वस्थ मुद्रा और शारीरिक स्वास्थ्य )

Posture Health and Physical Health (स्वस्थ मुद्रा और शारीरिक स्वास्थ्य) 🔹 परिचय (Introduction): शारीरिक स्वास्थ्य और मुद्रा स्वास्थ्य (posture health) दोनों मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण घटक हैं। एक अच्छी शारीरिक मुद्रा न केवल शरीर को संतुलित रखती है, बल्कि कई बीमारियों से भी बचाती है। वहीं, शारीरिक स्वास्थ्य हमारे शरीर

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कुपोषण (Malnutrition)

कुपोषण (Malnutrition) –   परिभाषा (Definition): कुपोषण वह स्थिति है जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते या असंतुलित मात्रा में मिलते हैं, जिससे शारीरिक, मानसिक और प्रतिरक्षा संबंधी कार्य प्रभावित होते हैं। यह स्थिति अत्यधिक कम पोषण (Undernutrition) या अत्यधिक भोजन (Overnutrition) दोनों में हो सकती है।  कुपोषण के प्रकार (Types

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पोषण और संतुलित आहार के प्रमुख स्रोत (Major Sources of Nutrition and Balanced Diet)

पोषण और संतुलित आहार के प्रमुख स्रोत (Major Sources of Nutrition and Balanced Diet in Hindi) संतुलित आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्वों की उपयुक्त मात्रा में उपलब्धता होनी चाहिए। इन पोषक तत्वों के लिए भोजन के विभिन्न स्रोत होते हैं। नीचे सभी प्रमुख पोषक तत्वों के स्रोत और उनका विवरण दिया गया है:  1.

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पोषण और संतुलित आहार के कार्य (Functions of Nutrition and Balanced Diet )

पोषण और संतुलित आहार के कार्य ( Functions of Nutrition and Balanced Diet ) 1. ऊर्जा प्रदान करना (Providing Energy): पोषण का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। हमारे द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट और वसा प्रमुख ऊर्जा स्रोत होते हैं। ये ऊर्जा शारीरिक गतिविधियों (जैसे चलना, बोलना, पढ़ना,

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संतुलित आहार के घटक (Components of Balanced Diet )

संतुलित आहार के घटक (Components of Balanced Diet ) संतुलित आहार वह आहार होता है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में मौजूद हों, जिससे शरीर की ऊर्जा, वृद्धि, मरम्मत और स्वस्थ रहने की आवश्यकताएँ पूरी हो सकें। एक संतुलित आहार के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं: 1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) कार्य: शरीर को ऊर्जा प्रदान

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पोषण और संतुलित आहार ( Nutrition and balanced diet )

पोषण और संतुलित आहार ( Nutrition and balanced diet )   परिचय: मानव शरीर के समुचित विकास, कार्य क्षमता, और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए पोषण अत्यंत आवश्यक है। शरीर को जीवित रहने, कार्य करने, बढ़ने और स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। उचित पोषण और संतुलित आहार एक व्यक्ति के

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शारीरिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा के बीच संबंध ( Relationship between Physical Education and General Education )

प्रस्तावना:  शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य है व्यक्ति का सर्वांगीण विकास – जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक सभी पहलुओं का संतुलन शामिल है। इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सामान्य शिक्षा और शारीरिक शिक्षा एक-दूसरे के पूरक बनते हैं। जहाँ सामान्य शिक्षा छात्रों के बौद्धिक विकास पर बल देती

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शारीरिक शिक्षा: आशय, उद्देश्य और लक्ष्य ( Concept, Aims and Objectives of Physical Education )

शारीरिक शिक्षा (Physical Education) एक ऐसी शैक्षिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक विकास को बढ़ावा दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य व्यक्ति को स्वस्थ, सक्रिय, आत्मअनुशासित और संतुलित जीवन जीने में सक्षम बनाना है। आज के युग में जहाँ तनाव, मोटापा, जीवनशैली रोग और मानसिक दबाव आम हो

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शारीरिक शिक्षा (Physical Education)

शारीरिक शिक्षा (Physical Education) :- परिचय: आज के यांत्रिक और तनावपूर्ण जीवन में शारीरिक शिक्षा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह केवल शरीर के व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण विकास – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक – से जुड़ा हुआ है। B.Ed पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा को एक प्रमुख

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