Gender,School & Society

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भारतीय महिलाएं – परिवार, जाति, वर्ग, संस्कृति, धर्म और सामाजिक व्यवस्था

भारतीय महिलाएं – परिवार, जाति, वर्ग, संस्कृति, धर्म और सामाजिक व्यवस्था (Indian women – family, caste, class, culture, religion and social system ) 1. भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति भारतीय समाज एक पितृसत्तात्मक समाज है जहाँ परंपरागत रूप से पुरुषों को प्रमुखता दी गई है। महिलाओं को अधिकतर गृहस्थ जीवन, पालन-पोषण, और घरेलू कार्यों

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सामाजिककरण, वर्ग, जेंडर और विभाजन (Socialization, Class, Gender and Division)

सामाजिककरण, वर्ग, जेंडर और विभाजन (Socialization, Class, Gender and Division):-   सामाजिककरण (Socialization):- वह निरंतर प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज में रहना, सामाजिक मान्यताओं को समझना, और विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं को निभाना सीखता है। यह प्रक्रिया बचपन से ही शुरू होती है और जीवनभर चलती रहती है। सामाजिककरण के मुख्य एजेंट होते हैं

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प्रजनन तकनीक और मातृत्व(Reproductive technology and mother hood )

 प्रजनन तकनीक और मातृत्व (Reproductive technology and mother hood ) प्रजनन तकनीक (Reproductive Technology) और मातृत्व (Motherhood) आज के समाज में स्त्री अधिकार, लैंगिक समानता, वैज्ञानिक प्रगति और सामाजिक संरचनाओं से जुड़ा एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। यह विषय पाठ्यक्रम में विशेष रूप से लैंगिक संवेदनशीलता (Gender Sensitivity), नारी अध्ययन (Women Studies) और शिक्षा एवं

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पितृसत्ता (Patriarchy)

पितृसत्ता (Patriarchy) –  पितृसत्ता एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसमें पुरुषों को प्रमुख सत्ता, अधिकार और निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त होती है। इस व्यवस्था में महिलाएं अधीन भूमिका में होती हैं और उन्हें सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से पीछे रखा जाता है।  पितृसत्ता की परिभाषाएँ सिल्विया वॉल्बी: “पितृसत्ता एक सामाजिक संरचना और व्यवहारों

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रेडिकल नारीवाद (Radical Feminism)

   रेडिकल नारीवाद (Radical Feminism)  🔹 परिचय (Introduction) रेडिकल नारीवाद, नारीवाद की एक ऐसी शाखा है जो यह मानती है कि समाज की समस्त संरचना पितृसत्ता (Patriarchy) पर आधारित है और यही महिलाओं के शोषण का मूल कारण है। इसके अनुसार महिलाओं की वास्तविक स्वतंत्रता तब तक संभव नहीं है जब तक पितृसत्तात्मक व्यवस्थाओं को

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सेक्स और जेंडर: मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण (Sex and Gender: Psychological and Sociological Perspectives )

 सेक्स और जेंडर: मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण (Sex and Gender: Psychological and Sociological Perspectives ) परिचय (Introduction): Sex (सेक्स) और Gender (जेंडर) शब्द अक्सर एक जैसे माने जाते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच गहरा और महत्वपूर्ण अंतर होता है। जहाँ Sex व्यक्ति के जैविक गुणों को दर्शाता है, वहीं Gender सामाजिक और सांस्कृतिक रूप

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सेक्स और जेंडर (Sex and Gender)

 सेक्स और जेंडर (Sex and Gender)   1. परिचय: शब्द “Sex” और “Gender” अक्सर एक-दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इन दोनों का अर्थ, प्रकृति और प्रभाव अलग-अलग होता है। शिक्षण और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इन दोनों की समझ अत्यंत आवश्यक है, विशेषकर लिंग भेदभाव और समानता से संबंधित मुद्दों को

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लिंग, विद्यालय और समाज (Gender, School and Society)

 लिंग, विद्यालय और समाज (Gender, School and Society)   विषय का परिचय: ‘लिंग, विद्यालय और समाज’ विषय B.Ed पाठ्यक्रम में एक अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई है, जो यह समझने में मदद करता है कि लिंग आधारित भूमिकाएं, भेदभाव, शिक्षा और सामाजिक संरचनाएं किस प्रकार एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। यह विषय समाज में समानता, न्याय और समावेशन

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